Thursday, May 7, 2020

#Shayri 1    

यकीन करने की मिट्टी जहरीली हो गई थी।

उसमें भी में मोहब्बत के बाग लगा सकता था।।

और किसी की मुस्कान के आगे खुदको बुझा लिया।

वरना चाहता तो शहर में आग लगा सकता था।।



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